मेने अपनी last post में बतया था की दुनिया में कई ऐसे उत्पाद रहे हे , जिनकी खोज जरूरतवश न हो कर अनायास हुयी | मतलब आविष्कार तो हुवा लेकिन बायचांस |ऐसी ही कुछ उत्पाद और हे -
1. कॉर्न फ्लेक्स : रोलर से आया आडिया
अमेरिका के डॉ.जोन केलोग और उनके भाई कीथ केलोग मरीजो को सहाकारी भोजन खिलाया करते थे |भोजन के लिए उबले हुवे गेंहू का इस्तेमाल होता था |
एक दिन कीथ उबले हुवे गेंहू का इस्तेमाल करना भूल गये |किट ने उन्हें फेंका नहीं और अक रोलर के निचे डाल दिया |उन्हें लगा की उनके गंहू का आटा बन जायेगा, लेकिन रोलर के निचे आने से गंहू के छोटे-छोटे फ्लेक्स बन गये |कीथ ने उन फ्लेक्स को दूध में मिलाकर मरीजो को खिलाया जो उन्हें काफी पसंद आया |इसके बाद जोन और कीथने मक्के के साथ ऐसा ही प्रयोग किया | कीथ और ज़ोन ने अपने कोर्न फ्लेक्स को 1906 में ग्रेनोस नाम देकर पेटेंट करा लिया |
2. सेकरीन : मिश्रण से बन गयी मिठास
सेकरीन की खोज का श्रय कंसटेंटेन फाल्बर्ग को जाता हे |बात 1879 की हे , फाल्बर्ग अपनी लेब में कोलतार के नए मिश्रण पर प्रयोग कर रहे थे | एक दिन वो अपना काम ख़तम कर घर आये और हाथ धोना भूल गये | उस दिन उन्होंने पाया की खाने का स्वाद कुछ जयादा ही मिट्ठा लग रहा हे |उन्होंने पत्नी से इस बारे में पूछा तो जवाब मिला की खाने में चीनी तो डाली नहीं हे | इससे फल्बर्ग का ध्यान अपने हातों की और गया | दुसरे दिन वे अपनी प्रयोग शाला में गये और अपनी खोज को चखने लगे |...................और हो गई सेकरीन की खोज |
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एक दिन कीथ उबले हुवे गेंहू का इस्तेमाल करना भूल गये |किट ने उन्हें फेंका नहीं और अक रोलर के निचे डाल दिया |उन्हें लगा की उनके गंहू का आटा बन जायेगा, लेकिन रोलर के निचे आने से गंहू के छोटे-छोटे फ्लेक्स बन गये |कीथ ने उन फ्लेक्स को दूध में मिलाकर मरीजो को खिलाया जो उन्हें काफी पसंद आया |इसके बाद जोन और कीथने मक्के के साथ ऐसा ही प्रयोग किया | कीथ और ज़ोन ने अपने कोर्न फ्लेक्स को 1906 में ग्रेनोस नाम देकर पेटेंट करा लिया |
2. सेकरीन : मिश्रण से बन गयी मिठास
सेकरीन की खोज का श्रय कंसटेंटेन फाल्बर्ग को जाता हे |बात 1879 की हे , फाल्बर्ग अपनी लेब में कोलतार के नए मिश्रण पर प्रयोग कर रहे थे | एक दिन वो अपना काम ख़तम कर घर आये और हाथ धोना भूल गये | उस दिन उन्होंने पाया की खाने का स्वाद कुछ जयादा ही मिट्ठा लग रहा हे |उन्होंने पत्नी से इस बारे में पूछा तो जवाब मिला की खाने में चीनी तो डाली नहीं हे | इससे फल्बर्ग का ध्यान अपने हातों की और गया | दुसरे दिन वे अपनी प्रयोग शाला में गये और अपनी खोज को चखने लगे |...................और हो गई सेकरीन की खोज |