photo:Tech World |
पिछले काफी दिनों से "ब्लोगिंग" की दुनिया से दूर रहा, शायद इसका एक कारण "फेसबुक" रहा होगा ,अब वापिस इसी दुनिया में लोट रहा हु |
"फेसबुक" जेसी सोशल नेट्वोर्किंग वेबसाइट्स का बच्चो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हे ,जो बच्चे इस वेबसाइट्स का बार -बार इस्तेमाल करते हे वे स्कूल में कम अंक प्राप्त करते हे ,एक अमेरिकी शोध में यह बात सामने आई हे | इस शोध में सोशल नेट्वोर्किंग वेबसाइट्स के प्रभाव को जानने के लिए बच्चो को उनके लिए जरुरी कुछ चीजो को 15 मिनट के लिए पढने के लिए दिया गया ,इसके बाद शोधकर्ता चुपके से वंहा से चले गये |
इस दोरान देखा गया की "फेसबुक" पर अपना पेज देखने के लिए बच्चो का ध्यान कई बार भटका | हर तीन मिनट के बाद वो अपना कम छोड़ देते थे |"फेसबुक" जेसी सोशल नेट्वोर्किंग वेबसाइट्स का बच्चो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हे ,जो बच्चे इस वेबसाइट्स का बार -बार इस्तेमाल करते हे वे स्कूल में कम अंक प्राप्त करते हे ,एक अमेरिकी शोध में यह बात सामने आई हे | इस शोध में सोशल नेट्वोर्किंग वेबसाइट्स के प्रभाव को जानने के लिए बच्चो को उनके लिए जरुरी कुछ चीजो को 15 मिनट के लिए पढने के लिए दिया गया ,इसके बाद शोधकर्ता चुपके से वंहा से चले गये |
शोध के परिणाम में कहा गया की शोसल नेट्वोर्किंग वेबसाइट्स का एक और नकारत्मक प्रभाव हे ,इसके ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे निरथक,आक्रामक और असामाजिक व्यवहार करने लगते हे वे अवसाद और निद्रा की समस्या से गर्सित हो सकते हे |
"फेसबुक" के दुस्प्रभावो का पता इसी बात से लगाया जा सकता हे की ""वर्तमान पीढ़ी के सबसे ताकतवर मुल्क का सबसे ताकतवर आदमी बराक ओबामा भी अपनी बेटियों से यह कह चूका हे की वो अभी फेसबुक से चार चल दूर रहे"" |
हम "ब्लॉगरो" की भी "चिट्टाजगत" के चले जाने के बाद मजबूरन "फेसबुक" का इस्तेमाल करना पड़ रहा हे |