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ले लो मैया, ले लो भैया

Tuesday, November 8, 2011

50वि पोस्ट ........और पहेली "कविता"

दोस्तों आज का दिन बड़ी  ख़ुशी का दिन हे मेरे लिए...क्यूंकि यह मेरे ब्लॉग  की 50वि पोस्ट हे...और आज मेरा जन्मदिन हे.....साथ ही मेने एक "कविता" भी लिकने की कोशिश की , जो शायद आपको थोड़ी बहुत पसंद आये ........
जब में "कविता" लिखने की सोच रहा था तो मेरा  ध्यान टूटी-फूटी सड़क पे "सड़ककी और गया  ,उसी पे कुछ टूटी फूटी पंक्तिया लिखी हे मेने.....

 



आइये देखते हे........


दूर-दूर तक पड़ी हु में,
गाँव-गाँव से जुडी हु में,
देश-विदेश में फैली हु में,
वाहनों की सहेली हु में |
                     
जब वर्षा के दिन आते हे,
                     
सावन के बादल छाते हे,
                     
काले बदरा पानी बरसाते हे,
                      
इसे देख-देख सारे मानव हर्षाते हे |
जब बादलो से पानी बरसता हे,
धीरे-धीरे भूमि पे पंहुचता हे,
                      
तब पानी की एक छोटी सी लहर आती हे,
                       
मेरे निचे से मिट्टी को ले जाती हे,
                      
मिट्टी को तो आजादी मिल जाती हे,
                      
पर यह मेरी बर्बादी बन जाती हे |
जगह-जगह से टूट जाती हु में,
और वाहनों से रूट जाती हु में |
                      
तब मुझे मनाने एक सर्जन आता हे,
                        
वो मुझे "काली कारी" लगा जाता हे |
काली कारी लगने के बाद चाँद नजर आती हु में,
वाहनों का खोया आनंद फिर से लोटाति हु में |
                       
अब आगे की कहानी सुनाती हु,
                       
मेरे दिल का दर्द बताती हु,
आषाढ़ तक ख़ुशी मनानी हे,
सावन से फिर यही कहानी हे |
आपको यह कविता केसी लगी मुझे जरुर बताइयेगा ...........
ले लो मैया, ले लो भैया