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ले लो मैया, ले लो भैया

Saturday, October 16, 2010

श्री छोटी-खाटू हिन्दी पुस्तकालय....[ CHHOTI KHATU HINDI PUSTKALY ]

स्वर्णिम शुभारंभ-इसकी स्थापना 19 मई 1958 को जोशियों की पोल मेँ हुई।इसकी स्थापना मैं  दो व्यक्तियो श्री बालाप्रसाद जोशी श्री जुगलकिशोर जैथलिया का विशेष योगदान रहा |
पुस्तकालय का निजी भवन-पुस्तकालय का निजी भवन गांव के बिच में स्तिथ है | इसका उदगाटन प्रसिद्ध साहित्यकार वैध गुरु दतजी के हाथो 15 मई  1967 को हुवा|
वरिष्ठ साहित्यकारों  के तेल चित्रों से भवन सुशोभित-10 फरवरी 1970 वसंत पंचमी के दिन पुस्तकालय  को 16 वरिष्ट साहित्यकारों जैसे-निराला,रहीम,मीरा,सूरदास,कबीर,प्रेम चंद  के तेल चित्रों से सुशोभित किया गया| बाद में आचार्य  तुलसी के सुजाव पर संत श्री जयचार्य का तेल चित्र भी पुस्तकालय में  लगाया गया|

पुस्तकालय की वर्तमान स्तिथि -वर्तमान में पुस्तकालय की दो मंजिला भवन है|इसमे विभिन विषयों की लगभग 10 ,000 पुस्तके,50 दैनिक पत्र-पत्रिकाओ से युत्त वाचनालय है|
साहित्यकारों ने क्या का  जब वो यंहा आये-
 प्राय: महापुरुष नगरो अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थनों पर पैदा नहीं हुवे,छोटे गांवो में ही पैदा हुवे  है|इसी गांव का यह पुस्तकालय एक ऐसा श्रेत्र हो सकता है,जंहा इस प्रकार की महान आत्मा का बिज पड़ सके --
                                                वैध गुरु दतजी,उदगाटन समारोहे के दिन
 यह जो पुस्तकालय आपने खोला है,यह आप  ऋषि ऋण चुकाने का प्रयत्न  कर रहे है|किसी दिन ऐसा हो सकता है की इसी गांव का कोई बालक तुलसी दास,रविन्द्र नाथ और विवेकानंद  के समान नई ज्योति देकर देश को अंधकार से प्रकाश  की ओर ले जाने में बड़ी भारी सहायता कर सके |असम्भव कुछ भी नहीं है,होगा,अवस्य ओगा,क्यों नहीं होगा?--
                                       हजारी प्रसाद दिवेदी ,15 वे वार्षिक समारोह में
पुस्तकालय किसी भी देश के लिये  हीरे,मोती,खजानों के ढेर से भी अधिक महत्व रकता है |इसलिय जब कोई आक्रान्ता आता है तो पहले पुस्तकालय जलाता है | नालंदा जलाया,तश्रशिला  जलाया | लुटे गये हीरे,मोती तो वापिस प्राप्त किये  जा सकते है,लेकिन जो पांडुलिपिया जल गयी ,उन्हे कांह से प्राप्त करे--
                                                 महादेवी वर्मा,21 वे वार्षिक समारोह में 
 आज के साहित्यकार पर दोरा दायित्व है | उसे मनोविज्ञान ओर विज्ञानं में,अद्यात्म ओर भोतिकता  में सामंजस्य कर समाज को अपैश्रित दिशा बोध देना है--
                                    कन्हैया लाल सेठिया,रजत जयंती समारोह,1983 
जो सरकार नहीं देना चाहती,वह पुस्तकालय ही दी सकता है--
                                             नरेन्द्र कोहली,स्वर्ण जयंती समारोह,2009  
 हमारी विडम्बना यह है की आज हमारा युवक शिक्षा  में जितना आगे बढ़  रहा है उतना ही अधिक अपनी परम्परा से अंजान एंव विमुख होता जा रहा है | युवको को सही रास्ते पर लाने का उपय सदग्रंथ ही है--
                                               गुलाब कोटरी,स्वर्ण जयंती समारोह,2009
"देश के खातिर मर मिटना तो कुल का गोरव होता है
                           मुना से कहना  क्या कोई उत्सव पर रोता है"-- 
                                              पद्मश्री सूर्य देव सिंह,स्वर्ण जयंती समारोह,
                                                                 वीर रस कवी सम्मेलन ,2009 
पुस्तकालय की ओर से दिये  जाने वाले सम्मान-
                                             श्री छोटी-खाटु हिन्दी पुस्तकालय की ओर से प० दिन दयाल उपद्याय साहित्य सम्मान 1990 से प्रारम्भ की गया ,यह सम्मान प्रति वर्ष  दिया जाता है|
                                              श्री छोटी-खाटु हिन्दी पुस्तकालय की ओर से महा कवी कन्हैया  लाल सेठिया मायड़ भाषा सम्मान 2009 से प्रारम्भ किया गया |यह सम्मान प्रति वर्ष  दिया जाता है|
                                                   ऐसा है हमारे गांव का पुस्तकालय,आप भी आये ओर अपना ज्ञान  बढाये

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