लोक देवता ऐसे महा पुरुषो को कहा जाता हे जो मानव रूप में जन्म लेकर अपने असाधारण और लोकोपकारी कार्यो के कारन देविक अंश के प्रतीक के रूप में स्थानीय जनता द्वारा स्वीकार किये गये हे |राजस्थान में रामदेवजी,भेरव,तेजाजी,पाबूजी,गोगाजी,जाम्भोजी,जिणमाता ,करणीमाता आदि सामान्य जन में लोकदेवता के रूप में प्रसिद्ध हे | इनके जन्मदिन अथवा समाधि की तिथि को मेले लगते हे | राजस्थान में भादो शुक्ल दशमी को बाबा रामदेव और सत्यवादी जाट वीर तेजाजी महाराज का मेला लगता हे |
1. सत्यवादी जाट वीर तेजाजी महाराज :
भादो शुक्ल दशमी को तेजाजी का पूजन होता हे | तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में खरनाल गाँव में माघ शुक्ला, चौदस वार गुरुवार संवत ग्यारह सौ तीस, तदनुसार २९ जनवरी, १०७४, को धुलिया गोत्र के जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता चौधरी ताहरजी (थिरराज) राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गाँव के मुखिया थे।मनसुख रणवा ने उनकी माता का नाम रामकुंवरी लिखा है. तेजाजी का ननिहाल त्यौद गाँव (किशनगढ़) में था. तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान हे |यह सत्य का पालन करने वाले , नाग देवता ,गायो की रक्षा करने के रूप में प्रसिद्ध हे | तेजाजी के पुजारी को घोडला एव चबूतरे को थान कहा जाता हे | सेंदेरिया तेजाजी का मूल स्थान हे यंही पर नाग ने इन्हें डस लिया था |ब्यावर में तेजा चोक में तेजाजी का एक प्राचीन थान हे | नागौर का खरनाल भी तेजाजी का महत्वपूर्ण स्थान हे | प्रतिवर्ष भादवा सुधि दशमी को नागौर जिले के परबतसर गाव में तेजाजी की याद में "तेजा पशु मेले" का आयोजन किया जाता हे | वीर तेजाजी को "काला और बाला" का देवता कहा जाता हे | इन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता हे |
विकिपीडिया ने तेजाजी के बारे में लिखा हे :
इनके बारे में ज्यादा जानकारी यंहा क्लिक करे |तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। तेजाजी ने जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया।
बाबा रामदेव जी का जन्म संवत् १४०९ में भाद्र मास की दूज को राजा अजमल जी के घर हुआ।इनकी माता का नाम मेनादे था |इनके जन्म के समय अनेक चमत्कार हुवे जेसे - उस समय सभी मंदिरों में घंटियां बजने लगीं, तेज प्रकाश से सारा नगर जगमगाने लगा। महल में जितना भी पानी था वह दूध में बदल गया, महल के मुख्य द्वार से लेकर पालने तक कुम कुम के पैरों के पदचिन्ह बन गए, महल के मंदिर में रखा संख स्वत: बज उठा। इन्होने अपना निवास पोकरण के पास रुनिचा गाव में बनाया |
बाल्यकाल में बाबा रामदेव ने भेरव नमक राक्षस का वध कर पोकरण को इसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई | रामदेवरा में रामदेवजी का समाधि स्थल पर विशाल मंदिर बना हे , जन्हा भाद्रपद सुकला द्वितीय से एकादसी तक विशाल मेले का आयोजन होता हे | रामदेवजी को रामसा पीर भी कहते हे | छोटा रामदेवरा गुजरात में हे | रामदेवजी ने कामडिया पन्त प्रारंभ किया | रामदेव जी मेघवाल जाती की डाली बायीं को अपने बहिन बना कर समाज के सामने एक आदर्श स्थापित किया | रामदेवजी के मंदिर को देवरा कहा जाता हे | जिन पर श्वेत या पांच रंगों के ध्वजा "नेजा" फहरायी जाती हे|
बाबा रामदेव भगवन द्वारकानाथ के अवतार माने जाते हे |
इनकी मान्यता का पता इस बात से भी लगाया जा सकता हे ,"गुजरात से भी जातरू यंहा पैदल दर्शन करने को आते हे" |
बाबा रामदेव भगवन द्वारकानाथ के अवतार माने जाते हे |
इनकी मान्यता का पता इस बात से भी लगाया जा सकता हे ,"गुजरात से भी जातरू यंहा पैदल दर्शन करने को आते हे" |
भक्तो के कुछ प्रसिद्ध शंखनाद :
बाबो किनरो,आप रोआप किनरा,बाबा रा |
एक दो तिन चार ,बाबा थारी जय जय कर ||
जब तक सूरज चाँद रहेगा,बाबा तेरा नाम रहेगा |||
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