आज हिंदी दिवस हे , बहुत कम लोगो को यह मालूम हे की 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता हे | हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हे |
हिंदी फादर कामिल बुल्के के रग-रग में बसी थी |बेल्जियम के फलैण्डर्स प्रांत के रम्सकपैले गाँव में एक सितम्बर 1909 को पैदा हुवे |घरवाले इन्हें इंजीनियर बनाना चहाते थे , लेकिन इन्होने कुछ और ही बन्ने की ठानी | रोम के ग्रिगोरियां विश्व विधालय से इन्होने 1932 में दर्शन शास्त्र से m.a. किया | यंही पर इनका भारतीय दर्शन से परिचय हुवा | भारतीय दर्शन ने इन्हें इस कदर प्रभावित किया की 1935 मे यह हिंदुस्तान आ गये |
हिंदी में इनका योगदान -
1 .1939 से 1942 के बिच इन्होने धर्म शास्त्र का अद्ययन किया | तुलसी साहित्य पढने के लिए इन्होने हिंदी सीखना जरुरी समजा | हिंदी के बढ़ते प्रेम ने इन्हें संस्क्रत से भी जोड़ दिया | संस्क्रत के रंग में यह ऐसे रंगे की 1945 में बकायदा कलकता विश्व विधालय से संस्क्रत की डिग्री ली |
2. आजीविका चलाने के लिए अध्यापन को पेशा बनाया और जीवन पर्यंत वे रांची के सेंट जेवियर्स कोलेज में हिंदी पढ़ते रहे |
3 .उनकी सबसे विख्यात पुस्तक "अंग्रेजी-हिंदी शब्द कोष " हे जो 1968 में प्रकाशित हुयी |
4 .इन्होने बाइबिल का "निलपक्षी'' (1978) नाम से अनुवाद किया |
फादर कामिल बुल्के का भारत से कितना लगाव था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हे की 1950 में इन्होने भारत की नागरिकता ग्रहण कर ली |भारत सरकार ने 1974 में उन्हें पद्मभूषण दिया.
B.रुपर्ट स्नेल -
हिंदी को जान से ज्यादा चाहने वाले रुपर्ट स्नेल लंदन की धरती पर हिंदी को प्रतिस्थित करने वालो में से एक हे |
हिंदी में इनका योगदान -
1 . वर्तमान में लन्दन विश्व विधालय में हिंदी के विभागध्यक्ष |
2 .भारत में "हिंदी सेवी" के नाम से मशहूर |
3 ."हित चोरासी" ग्रन्थ पर शोध के लिए विख्यात |
4 .हिंदी के प्रति लोगो की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए "टीच योरसेल्फ हिंदी" और "बिगिनर्स हिंदी सिक्रप्ट" नमक किताबे लिखी |
C. ओदोलेन स्मेकल -
हिंदी कवितावों में महारत हासिल करने वाले ओदोलेन स्मेकल का जन्म 18 अगस्त 1928 को चेकोस्लाविया में हुवा |
चेक सरकार ने इन्हें भारत में अपना राजदूत बनाया | इन्होने हिंदी के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया |
हिंदी में इनका योगदान -
1 .इन्होने हिंदी भाषा की कही रचनावो का चेक भाषा में अनुवाद किया |
2 .यूरोपियन छात्रों को हिंदी सिखाने के लिए "हन्दी वार्तालाप", "हिंदी पाठमाला",हिंदी-भाषा" जेसी कंही पुस्तके लिखी |
3 .हिंदी-चेक और चेक-हिंदी शब्दकोश तेयार किया |
इनकी एक सुन्दर कविता पढने के लिए यंहा क्लिक करे |
D. शब्दों से प्यार करने वाले पिए वारान्निकोवा -
इनका जन्म रूस में हुवा |
हिंदी में इनका योगदान -
1 .मास्को विश्व विधालय में हिंदी पढ़ते हुवे इन्होने कही हिंदी अखबारों के लिये आलेख लिखे |
2 ."रामायण" का रुसी भाषा में अनुवाद किया |
इस तरह इन विदेशियों ने हिंदी को सारे जग में फेलाया | पर जब लोकसभा ,राज्यसभा में देश के नेताओ तथा 26 जनवरी और 15 अगस्त को प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को टी.वी.पर देश को अंग्रेजी में स्म्बोदित करते हुवे देखता हु तो मन में एक खटक सी रहती हे "की क्या इन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती"
अब हिंदी के बारे में दो शब्द अर्ज हे -
हमरे गाव का श्री छोटी-खाटू हिन्दी पुस्तकालय गाव तथा आस -पास के लोगो को हिंदी सिखने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता हे |
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भारतीय विधा भवन की तरफ से विश्व हिंदी दिवस का आयोजन हर साल किया जाता हे | दुनिया के विभिन शहरों में होने वाले इस आयोजन में हिंदी भाषा को अपनाने वाले बहुत से लोग पंहुचते हे |जेसा की TechWorld हेमेशा ही आपके लिए अलग करता आया हे तो सोचा आज भी कुछ अलग किया जाये | आज हम उन विदेसी व्यक्तियों की बात करेंगे जिन्होंने हिंदी की खातिर अपना जीवन लगा दिया |
यह हमरे लिए गर्व की बात हे की मेड्रिन के बाद दुनिया भर में हिंदी भाषा सबसे ज्यादा लोगो द्वारा बोली जाती हे | इनमे भारतीय मूल के लोगो के अलावा विदेशी भी सामिल हे | हिंदी बोलने वाले विदेशियों की संख्या अनुमानित 25 लाख हे |
आज भले ही हम हावी होती पश्चिमी संस्क्रती के चलते अंग्रेजी का गुणगान करते फिरे , लेकिन सच्चई यह भी हे की दुनिया में कंही ऐसे विदेशी भी हुवे , जो दुनिया भर में हिंदी के विकास के लिए जाने जाते हे | उनके लिए हिंदी अपनी ही उतनी थी ,जितनी हमारे लिए हे | सही मायनो में देखा जाये तो यह विदेशी हिंदी के सच्चे हिमायती रहे हे |A. फादर कामिल बुल्के -
हिंदी फादर कामिल बुल्के के रग-रग में बसी थी |बेल्जियम के फलैण्डर्स प्रांत के रम्सकपैले गाँव में एक सितम्बर 1909 को पैदा हुवे |घरवाले इन्हें इंजीनियर बनाना चहाते थे , लेकिन इन्होने कुछ और ही बन्ने की ठानी | रोम के ग्रिगोरियां विश्व विधालय से इन्होने 1932 में दर्शन शास्त्र से m.a. किया | यंही पर इनका भारतीय दर्शन से परिचय हुवा | भारतीय दर्शन ने इन्हें इस कदर प्रभावित किया की 1935 मे यह हिंदुस्तान आ गये |
हिंदी में इनका योगदान -
1 .1939 से 1942 के बिच इन्होने धर्म शास्त्र का अद्ययन किया | तुलसी साहित्य पढने के लिए इन्होने हिंदी सीखना जरुरी समजा | हिंदी के बढ़ते प्रेम ने इन्हें संस्क्रत से भी जोड़ दिया | संस्क्रत के रंग में यह ऐसे रंगे की 1945 में बकायदा कलकता विश्व विधालय से संस्क्रत की डिग्री ली |
2. आजीविका चलाने के लिए अध्यापन को पेशा बनाया और जीवन पर्यंत वे रांची के सेंट जेवियर्स कोलेज में हिंदी पढ़ते रहे |
3 .उनकी सबसे विख्यात पुस्तक "अंग्रेजी-हिंदी शब्द कोष " हे जो 1968 में प्रकाशित हुयी |
4 .इन्होने बाइबिल का "निलपक्षी'' (1978) नाम से अनुवाद किया |
फादर कामिल बुल्के का भारत से कितना लगाव था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हे की 1950 में इन्होने भारत की नागरिकता ग्रहण कर ली |भारत सरकार ने 1974 में उन्हें पद्मभूषण दिया.
B.रुपर्ट स्नेल -
हिंदी को जान से ज्यादा चाहने वाले रुपर्ट स्नेल लंदन की धरती पर हिंदी को प्रतिस्थित करने वालो में से एक हे |
हिंदी में इनका योगदान -
1 . वर्तमान में लन्दन विश्व विधालय में हिंदी के विभागध्यक्ष |
2 .भारत में "हिंदी सेवी" के नाम से मशहूर |
3 ."हित चोरासी" ग्रन्थ पर शोध के लिए विख्यात |
4 .हिंदी के प्रति लोगो की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए "टीच योरसेल्फ हिंदी" और "बिगिनर्स हिंदी सिक्रप्ट" नमक किताबे लिखी |
C. ओदोलेन स्मेकल -
हिंदी कवितावों में महारत हासिल करने वाले ओदोलेन स्मेकल का जन्म 18 अगस्त 1928 को चेकोस्लाविया में हुवा |
चेक सरकार ने इन्हें भारत में अपना राजदूत बनाया | इन्होने हिंदी के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया |
हिंदी में इनका योगदान -
1 .इन्होने हिंदी भाषा की कही रचनावो का चेक भाषा में अनुवाद किया |
2 .यूरोपियन छात्रों को हिंदी सिखाने के लिए "हन्दी वार्तालाप", "हिंदी पाठमाला",हिंदी-भाषा" जेसी कंही पुस्तके लिखी |
3 .हिंदी-चेक और चेक-हिंदी शब्दकोश तेयार किया |
इनकी एक सुन्दर कविता पढने के लिए यंहा क्लिक करे |
D. शब्दों से प्यार करने वाले पिए वारान्निकोवा -
इनका जन्म रूस में हुवा |
हिंदी में इनका योगदान -
1 .मास्को विश्व विधालय में हिंदी पढ़ते हुवे इन्होने कही हिंदी अखबारों के लिये आलेख लिखे |
2 ."रामायण" का रुसी भाषा में अनुवाद किया |
इस तरह इन विदेशियों ने हिंदी को सारे जग में फेलाया | पर जब लोकसभा ,राज्यसभा में देश के नेताओ तथा 26 जनवरी और 15 अगस्त को प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को टी.वी.पर देश को अंग्रेजी में स्म्बोदित करते हुवे देखता हु तो मन में एक खटक सी रहती हे "की क्या इन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती"
अब हिंदी के बारे में दो शब्द अर्ज हे -
हिंदी अपनी मातर भाषा हे ,बोल सको तो हिंदी बोलो |
सारा देश ही हिंदी बोले ,हर जन की यह अभिलाषा हे |
देख सको तो सपना देखो ,फिर से वह शुभ दिन आये |
भारत-माता पु:न जगत में ,विश्व-गुरु कहलाये |
हमरे गाव का श्री छोटी-खाटू हिन्दी पुस्तकालय गाव तथा आस -पास के लोगो को हिंदी सिखने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता हे |
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